गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

रामचरित मानस का पाठ क्यों?

श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचा एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। उत्तर भारत में रामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री राम चरित मानस में श्री राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया है जब कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इस के सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है।

गीताप्रेस गोरखपुर के श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन उसे पूर्ण किया था. इस महाकाव्य की भाषा अवधी है जो कि हिंदी की ही एक शाखा है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसी कृत रामायण' भी कहा जाता है।

सभी विद्वानों द्वारा श्रीराम की जीवनगाथा श्रीरामचरित मानस पढऩे की सलाह दी जाती है। श्रीरामचरित मानस में जीवन प्रबंधन से जुड़े अमूल्य सूत्र हैं। राम का जीवन इस बात की प्रेरणा देता है कि आप समाज में कैसे रहें?
श्रीराम का संपूर्ण जीवन हमें आदर्श जीवन जीने के सूत्र ही बताता है।

श्रीराम के चरित्र की कुछ ही बातों को जीवन में उतार लिया जाए तो कोई भी सामान्य व्यक्ति भी महान बन सकता है। रामायण में वह सभी बातों का समावेश हैं जो हमें परिवार में रहना सिखाती हैं, समाज में रहना सिखाती है। रामायण का सरल रूप है गोस्वामी तुसलीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस।

तुलसीदासजी ने श्रीरामचरित मानस को इतना सरल रूप में लिखा है कि आसानी से सभी को समझ आ जाती है। आज के युग में सभी को उच्च जीवन जीने के लिए सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है। बस यही मार्गदर्शन श्रीराम के जीवन से प्राप्त किया जा सकता है।

जिस प्रकार श्रीराम पुत्र का कर्तव्य निभाते हैं ठीक उसी तरह आज सभी संतानों को अपने-अपने माता-पिता की हर बात को मानना चाहिए। जिस प्रकार उन्होंने पत्नी सीता के साथ जीवन बिताया वह इस बात की प्रेरणा देता है कि आज के युग में पति-पत्नी को किस प्रकार रहना चाहिए? किसी भी विषम परिस्थिति में पति-पत्नी को एक-दूसरे का साथ बिल्कुल नहीं छोडऩा चाहिए तभी हर समस्या का हल आसानी से निकाला जा सकता है।

वहीं श्रीरामचरित मानस में भाइयों में कैसा प्रेम रहना चाहिए भी बताया गया है। मित्रता के संबंध में रामायण में कई प्रसंग दिए गए है जो आदर्श मित्रता की मिसाल है। ऐसे ही हमारे जीवन से जुड़े हर रिश्ते की मर्यादा, अधिकार और कर्तव्य आदि सभी बातों की जानकारी के लिए हमें श्रीरामचरित मानस पढऩे की सलाह दी जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts with Thumbnails