निर्विवाद रूप से विश्व की प्राचीनतम संस्कृति होने का गौरव, भारतीय संस्कृति को ही प्राप्त है। भारतीय संस्कृकि की आदर्श, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक परंपराएं ही इसे सर्वश्रेष्ठ एवं महान बनाती हैं।
ऎसी ही एक परंपरा है-विवाह परंपरा।
ये वचन इस प्रकार हैं -
वर से लिए गए वचन: ग़ृहस्थ जीवन में सुख-दु:ख की स्थितियां आती रहती हैं, लेकिन तुम हमेशा अपना स्वभाव मधुर रखोगे।मुझे बताये बिना कुआं - बावड़ी - तालाब का निर्माण, यज्ञ-महोत्सव का आयोजन और यात्रा नहीं करोगे। मेरे व्रत, दान और धर्म कार्यों में रोक-टोक नहीं करोगे। मेहनत से जो कुछ भी अर्जित करोगे, मुझे सौंपोगे। मेरी राय के बिना कोई भी चल-अचल सम्पति का क्रय-विक्रय नहीं करोगे।घर की सभी कीमती चीजें, गहने, आभूषण मुझे रखने के लिए दोगे। माता-पिता के किसी आयोजन में मेरे पीहर जाने पर आपत्ति नहीं करोगे।
वधु से लिए गए वचन: मेरी अनुपस्थिति में बिना बताए कहीं नहीं जाओगी। विष्णु, वैश्वानर, ब्राह्मण, मेहमान और परिजन सभी साक्षी हैं कि मैं तुम्हारा हो चुका हूँ। मेरे मन में तुम्हारा मन रहे। तुम्हारी बातों में मेरी बातें रहें और मुझे अपने ह्रदय में रखोगी। मेरी इच्छाओं और आज्ञाओं का निरादर नहीं करोगी और बड़ों का सम्मान करोगी। हमेशा मेरी विश्वसनीय बनी रहोगी।
1 टिप्पणी:
bahut faltu vachan hain sab ke sab.
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