रविवार, 6 दिसंबर 2009

कब मिलेगी कार?

मध्यम वर्ग में वाहनों विशेषकर कार का क्रेज बढ़ गया है। इधर विदेश यात्राओं व पर्यटन ने हवाई यात्राओं की आवृत्ति भी बढ़ा दी है। क्या इसके भी केाई योग होते हैं? ज्योतिषीय दृष्टि से इनका आकलन करें तो जवाब मिलता है- हां। वाहन सुख का कुंडली में स्पष्ट संकेत होता है। जन्मकुंडली का आधार इसके बारह भाव, बारह राशियां व नौ ग्रह हैं।

संसार की तमाम जड़-चेतन, चर-अचर वस्तुएं, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, फल-फूल इत्यादि सभी जन्मकुंडली के बारह भावों, बारह राशियों व नौ ग्रहों को आवंटित हैं। मोटे तौर पर जन्मकुंडली के पहले भाव से सेहत, दूसरे भाव से धन, तृतीय भाव से धैर्य शक्ति, चतुर्थ भाव से सांसारिक सुख, पंचम भाव से संतान, षष्ठ भाव से रोग, ऋण व शत्रु, सप्तम भाव से वैवाहिक जीवन, अष्टम भाव से आयु-मुत्यु, नवम भाव से भाग्य, दशम भाव से व्यवसाय, एकादश भाव से आय तथा द्वादश भाव से व्यय का विचार किया जाता है।

चूंकि सांसारिक सुखों का विचार जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव से किया जाता है। अत: वाहन सुख का विचार इसी भाव से किया जाता है - ‘चंद्र’ ग्रह इस भाव का स्थाई कारक है जबकि ‘शुक्र’ ग्रह वाहन सुख का कारक है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

विदेश यात्रा योग के बारे मे कृ्पा विस्तृ्त जानकारी दे ।

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