सोमवार, 23 नवंबर 2009

बृहस्पति को प्रसन्न कर पाएं धन लाभ - सुमन पंडित

लाल किताब ज्योतिष में कुछ ऐसे सिद्धांत हैं, जो कि फलादेश के लिए बहुत आवश्यक हैं। लाल किताब में अंधे ग्रहों की कुंडली या अंधे ग्रहों के टेवा jupiterका जिक्र आता है। इसके अनुसार दसवें घर में शनि की मकर राशि आती है और इस प्रकार इस घर का सीधा संबंध शनि से है। यदि दसवें भाव या घर में दो या दो से अधिक ऐसे ग्रह हों, जो आपस में शत्रु हों या नीच राशि के ग्रहों से दसवां भाव खराब हो तो कुंडली के सभी ग्रह अंधे की तरह फल देने वाले होते हैं अर्थात बहुत हद तक उस कुंडली में शुभ ग्रहों का भी फल निष्फल रहता है। इस प्रकार के योग में व्यक्ति जीवन में कितना भी संघर्ष और मेहनत करें, उसे पूर्ण प्रतिफल नहीं मिल पाता। कार्यक्षेत्र में उतार-चढ़ाव रहते हैं। दसवां घर शनि का पक्का स्थान है और इसका हमारे कर्मक्षेत्र और जीवनयापन के साधन से सीधा संबंध है। इस घर में यदि एक से ज्यादा शत्रु ग्रह हों तो ये नौकरी या व्यवसाय में स्थिरता नहीं रहने देंगे। उदाहरण के लिए दसवें घर में यदि सूर्य, केतु और शुक्र में कोई दो या तीनों ग्रह आ जाएं तो इस प्रकार की कुंडली अंधे ग्रहों का टेवा कहलाएगी।
इसी प्रकार यदि बृहस्पति, राहु और शुक्र दसवें घर में हांे तो यह कुंडली अंधे ग्रहों की कुंडली होगी। यहां बृहस्पति पहले से बहुत कमजोर है, क्योंकि यहां गुरु दसवें भाव में कालपुरुष कुंडली के अनुसार अपने नीच घर में अपने शत्रु राहु और शुक्र के साथ है। यहां राहु और शुक्र दोनों अपने मित्र ग्रह शनि के घर में होने से बलवान हैं। इस प्रकार के योग से कुंडली में बृहस्पति का प्रभाव निष्फल हो जाएगा या उसके शुभ प्रभाव में कमी आ जाएगी।
लाल किताब में दसवें घर के बृहस्पति के बारे में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में जातक को धन की कमी रहती है। यहां बृहस्पति होने से धन कमाने के लिए दिमागी काम के बजाय शारीरिक मेहनत से किए काम से लाभ होता है। दूसरों की भलाई करना अशुभ फल देता है अर्थात यहां शनि के पक्के घर में बैठे बृहस्पति को शनिवत व्यवहार/कार्य/व्यवसाय से ही लाभ हो सकता है। यदि बृहस्पति, शुक्र और राहु दसवें घर में हों तो अंधे व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए। किसी भी एक समय का पूरा नाश्ता या दोपहर का भोजन, जिसमें मीठा जरूर हो, खुद दस दृष्टिहीन व्यक्तियों को परोसें।
इसके अलावा दसवें घर में बैठे अन्य ग्रहों को समझकर उन सभी का उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होगा जैसे ऊपर दिए योग में पहले तो दस दृष्टिहीन व्यक्तियों को भोजन खिलाएं और फिर बृहस्पति की कारक वस्तुएं हल्दी या चने की दाल धर्मस्थान में देने से इसका प्रभाव ठीक होगा।

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