रविवार, 15 नवंबर 2009

पंच महोत्सव दीपावली पर्व - पं. गौरव शर्मा

धनतेरस
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। इस दिन भगवान धन्वन्तरि ने लोगों के दु:ख और रोगों को हरने के लिए आयुर्वेद की रचना की थी। यह दिन अतिशुभ है। कोई भी नया कार्य इस दिन प्रारंभ करें तो सफलता निश्चित ही मिलती है। यह अबूझ मुहूर्त है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन खरीदने चाहिए।
रूपचौदस
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी या रूपचौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व सुगंधित तेल से मालिश कर ठंडे जल से स्नान करना चाहिए। इससे मनुष्य स्वस्थ रहता है, जो स्त्रियां इस दिन सजती-संवरती हैं, उनको अगले जन्म में सुयोग्य पति की प्राप्ति होती है। इस दिन तेल में लक्ष्मीजी का और जल में गंगा का वास रहता है। भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध किया था। इस दिन अपने घर के बाहर या दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाना चाहिए।
दीपावली
दीपावली को महानिशा और शुभ रात्रि माना गया है। इस रात में सूर्य और चंद्रमा की युति शुक्र की तुला राशि में होती है जो कि भौतिक सुखों और संपन्नता को प्रदान करती हैं। श्रीसूक्त और भविष्यपुराण के अनुसार लक्ष्मीजी का वास बिल्ववृक्ष में माना गया है। दीपावली की रात के तीसरे और चौथे प्रहर में मंत्र और यंत्रों को सिद्ध करके संपन्नता प्राप्त की जा सकती है। लक्ष्मी पूजा स्थिर लग्न में ही करनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव होता है। सायंकाल मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव होता है।
यम द्वितीया
यमद्वितीया भैया दूज के दिन पुरुषों को अपने घर भोजन न कर अपनी बहन के यहां भोजन करना चाहिए। इस दिन यमुना ने भी अपने भाई यमराज को घर पर बुलाकर भोजन कराया था। इस दिन यमुना में कच्च दूध, तिल और गंगा जल चढ़ाने से भाई-बहन के रिश्ते में अटूट प्रेम, मधुर संबंध बना रहता है। अगर बहन भाई को इस दिन भोजन कराती है तो उनके भाई की उम्र बढ़ती है। उन्हें धन-धान्य की प्राप्ति होती है। प्रात:काल चंद्रमा के दर्शन करने चाहिए।
दीपावली की रात्रि को निम्न उपाय करें
>> इस दिन श्रीयंत्र को स्थापित कर गन्ने के रस और अनार के रस से अभिषेक करके लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें।
>> दीपावली की रात्रि को पीपल के पत्ते पर दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करें। उसके दूर जाने की प्रतीक्षा करें। इससे आर्थिक संकट दूर होंगे।
>> लक्ष्मी पूजन के समय अपने बहीखातों व कलम-दवात का पूजन करना चाहिए।
>> दीपावली को रात्रि में हात्थाजोड़ी को सिंदूर में भरकर तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है।
>> सात गोमती चक्र और काली कोड़ियों को व्यापार वाले स्थान में रखने से निरंतर व्यापार में वृद्धि होती रहती है।
>> घर पर हमेशा बैठी हुई लक्ष्मीजी की और व्यापारिक स्थल पर खड़ी हुई लक्ष्मीजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
>> लक्ष्मीजी को गन्ना, अनार, सीताफल अवश्य चढ़ाएं।
>> इस दिन पूजा स्थल में एकाक्षी नारियल की स्थापना करें। यह साक्षात लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है। जिस घर में एकाक्षी नारियल की पूजा होती हो, वहां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है।
>> दीपावली की रात्रि में श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र एवं गोपाल सहस्रनाम का पाठ करने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

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