शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

यात्रा और कुंडली

गर्मी आते ही यात्राओं की योजना बननी शुरू हो जाती है। लेकिन यात्रा से पहले अन्य सावधानियों के साथ अपनी कुंडली देखना भी न भूलें। राशियों के अनुसार ग्रह स्थिति बताती है कि किस जातक के लिए कब और कौन-सी यात्रा शुभ होगी।
समस्त ब्रांड सदैव गतिशील है। हर क्षण गति के साथ परिवर्तन होता रहता है। उस गति को जानने के लिए हमारे महर्षियों ने अनेक विधाएं खोजीं। उन विधाओं में नक्षत्र ज्ञान सर्वोपरि है। हमारे ऋषि-मुनियों ने आकाश में असंख्य तारा समूहों को देखा, उनकी गति एवं आकृतियों को जाना तो उन तारा समूहों में से विशिष्ट तारों को नक्षत्र की संज्ञा दी और जब देखा कि 27 दिनों में पुन: वही नक्षत्र क्षितिज पर प्रकट हो रहा है तो इनकी गति का आंकलन किया।
प्रोफेसर मूलर कहते हैं - ‘भारतवासी आकाश मंडल एवं नक्षत्र आदि के ज्ञान के संबंध में अन्य देशों के ऋणी नहीं हैं।’ भारतीय नक्षत्र ज्ञान का वर्णन वेदों में भी है। अथर्ववेद में 25 नक्षत्रों का वर्णन आता है। यजुर्वेद में 27 नक्षत्रों का वर्णन है। इस तरह यह स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन समय में केवल नक्षत्र ही थे, राशियां नहीं थी।
इन नक्षत्रों के तारामंडलों को बराबर देखा गया तो इनके तारा समूहों को रेखांकित करने से जो आकृतियां बनीं, वे मेढ़ा, बेल, सिंह मछली आदि के समान रहीं। इन्हीं आकृतियों के आधार पर राशियों का निर्माण हुआ, जो अपनी आकृति के अनुसार फल देने वाली हुईं।
राशियों में भ्रमणशील ग्रहों के आधार पर पर्यटन की दिशा, दशा एवं फल- मेष>> पूर्व-उत्तर की यात्रा करना विशेष शुभ रहेगा। आपकी राशि का स्वामी मंगल दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। अत: ईशान की यात्रा सुखद एवं निरापद रहेगी।
सावधानी : आहार-व्यवहार नियंत्रित रखें। लेन-देन पूर्ण सजगता से करें।
वृषभ>> उत्तर पश्चिम की यात्रा श्रेयस्कर होगी। आपकी राशि नक्षत्रों के क्रमश: चंद्रमा, शिव एवं अदिति देवता हैं। अत: पुरातत्वीय धरोहरों को देखना श्रेयस्कर होगा।
सावधानी : आहार पर ध्यान दें। सावधानी से यात्रा करें।
मिथुन>> मृगशिरा दो चरण, आद्र्रा संपरूण एवं पुनर्वसु के तीन चरण मिलकर मिथुन राशि का निर्माण होता है। आपकी यात्रा प्राकृतिक सौंदर्य, पुरातत्व जल प्रपात और वैज्ञानिक महत्व के स्थलों की ओर हो सकती है।
सावधानी : यात्रा के दौरान आहार पर विशेष ध्यान दें।
कर्क>> आपकी राशि का अधिपति चंद्रमा है। उत्तर मध्य की यात्रा श्रेयस्कर होगी। यात्रा के समय चंद्र दिशा शूल एवं योगिनी पर विचार कर यात्रा प्रारंभ करें।
सावधानी : यात्रा के समय अपनी वाणी संयत रखें।
सिंह>> आपकी राशि में शनि का भ्रमण चल रहा है। ग्रहों के अनुसार पूर्व की यात्रा आपको सफलता दिला सकती है। सहयात्रियों की भूमिका विशेष होगी।
सावधानी : ड्राइवर, सहयात्री व स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
कन्या>> कन्या राशि के अधिकतर नक्षत्र एवं स्वयं राशि दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। पुरातत्वीय महत्व के स्थलों की यात्रा अच्छी होगी।
सावधानी : विवादित वातावरण का निर्माण नहीं होने दे। अधीनस्थ कर्मचारियों से सतर्क रहें। रात में यात्रा न करें।
तुला>> राशि स्वामी शुक्र पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। गोचर ग्रहों के अनुसार आपकी यात्रा लंबी हो सकती है। स्वाति नक्षत्र के जातक वायुयान यात्रा कर सकते हैं। यात्रा में पूर्ण आमोद-प्रमोद होगा।
सावधानी : यात्रा के दौरान खान-पान व खरीदारी में बहुत सावधान रहें। सहयात्रियों से भी सजग रहें।
वृश्चिक>> राशि स्वामी मंगल दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में दक्षिण की लघु यात्रा व उत्तर की वृहद यात्रा संभावित है, जिसमें ऐतिहासिक पृष्ठभूमि युक्त तथा धार्मिक यात्रा की संभावनाएं प्रबल हैं। सन्मुख चंद्र में यात्रा करना शुभ रहेगा।
सावधानी : यात्रा के दौरान सामान पर सतर्कता, लेन-देन व अपने महत्वपूर्ण कागजों की हिफाजत जरूरी है।
धनु>> राशि स्वामी बृहस्पति उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व कर रहा है। ऐसे में आपकी सुदूर यात्रा हो सकती है, जो वायु मार्ग से भी संबंध रख सकती है। धर्म, इतिहास, पुरातत्व एवं शोध संस्थानों की यह यात्रा आपको उल्लासित करने वाली होगी।
सावधानी : विवाद न करें। निम्न वर्ग व असामाजिक तत्वों से सावधान रहें।
मकर>> राशि का स्वामी शनि पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्व की यात्रा आपके लिए सुखद हो सकती है। लघु यात्रा विशेष फलदायी होगी।
सावधानी : यात्रा के दौरान संयमित रहें, मितव्ययता का ध्यान रखें, साथ ही निश्चित कार्ययोजना का अनुसरण करें।
कुंभ>> राशि पश्चिम दिशा तथा ताराशीश भी पश्चिम दिशा को चिन्हित करता है। गोचर के अनुसार लंबी यात्रा जलमार्ग की हो सकती है। आप अपने वर्चस्व एवं व्यापार का विकास करने में सफल हो पाएंगे। अत्याधुनिक उपकरणों की खरीदी पर व्यय संभव है। परिवार के लिए कुछ स्थायित्व भी होगा। महत्वपूर्ण लोगों का संपर्क कार्यक्षेत्र में नए आयामों को मूर्त रूप दे सकेगा। आत्मीयजनों के साथ यात्रा बहुमुखी विकास करेगी।
सावधानी : वाणी को संयमित रखें, आवश्यकतानुसार ही खर्च करें, संक्रमण संबंधी व्याधि संभव है।
मीन>> उत्तर दिशा को प्रभावशील बनाने वाली यह राशि जलतत्व एवं चंचल स्वभाव की है। गोचर अनुसार उत्तर पूर्व पर्वतीय क्षेत्र उद्यान, जल एवं प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर संबंधी स्थलों की यात्रा संभव है जो आध्यात्मिक हो सकती है। संत समागम एवं देवदर्शन पूर्ण यह यात्रा आप में आध्यात्मिक चेतना का संचार करने वाली होगी। साथ ही पुरातत्वीय महत्व वाले स्थलों एवं स्मारकों का दर्शन आपके व्यवहार में नवीनता लाने में समर्थ है। संपूर्ण परिवार के साथ की गई आपकी यात्रा विशिष्ट फल प्रदान करने वाली होगी। होगी। सम्मुख चंद्र में की गई यात्रा आपको विशिष्ट फल देगी।
सावधानी : खान-पान, आवास एवं लेन-देन में सतर्कता रखें। यात्रा के दौरान वाणी संयमित हो।
मेष राशि के जातकों के लिए उत्तर-पूर्व की यात्रा विशेष शुभ फल प्रदान करने वाली होगी। वृषभ राशि के नक्षत्रों के देवता क्रमश: चंद्रमा, शिव एवं अदिति हैं। अत: उन जातकों के लिए उत्तर-पश्चिम में पुरातत्वीय धरोहरों की यात्रा श्रेयस्कर होगी।

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